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________________ (५०) सवि संहारूं ॥ १३ ॥ पूत अपमान्यो तेहज वली, त्रागे जश् स्वामीने मिली ॥छूत कहे ए आण न माने, एहज चढी मोटे माने ॥ १४ ॥ ॥दोहा॥ ॥ एहवां वचन मंत्री सुणी, रूगे काल कराल ॥ कहे राणाने ऊटपटुं, एम कही उठ्यो ततकाल॥१॥ तब सेनापति सङ थया, दीए रणजंना तेणे गर॥ हस्ती तुरंगम पाखस्या, मंत्री थाय असवार ॥२॥ ॥बंद॥ ॥ तब सऊ थया चहुआण चाउम, रूमी मंगल मुलतानी नाजम ॥ खानमुलक साथे सुलताना, हफसी हम फिरंगी फकाना ॥१॥ चंचल चपल पगण सुठलका, तोमर गुरज ग्रह्या जेणे नलका ॥ बत्र धरावी चामर वीऊता, मंत्री मेदपाट सीम उतरंता ॥२॥ हवे राणे सेन सजा कीध, रण चढवा नफेरी दीध ॥ मदमत्ता मयगल मलपंता, तेजे तरल नेजा फलकंता ॥३॥ मोटा हयवर करे हींसारा, तस उपर चढे रढियाला सारा ॥ ढाक चंदेला ने चहुआणा, सोलंकी रागेम सुराणा॥४॥दहीआ माना ने बोमाणा, परमारा मोरी कहीवाणा ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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