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________________ (४३) सा० ॥ लीधी सघली रे साथ ॥जीहो राजा प्रधान बे बांधीया ॥ ला ॥ मंत्री लेश् आवे साथ ॥११॥ मं॥जीहो त्रंबावती राय वश करी ॥ला॥जीत्यो सबल सेनाय ॥ जीहो जय वरी घर आवीया ॥ ला ॥ जनमे निज राय ॥ १५ ॥ मं० ॥ जीहो वेरी पाये लगामी ॥ ला ॥ वर्तावी निज आण॥ जीहो वस्तुपाल रायने विनवे ॥ ला ॥ देश दी एहने सुजाण ॥ १३॥ मं० ॥ ॥दोहा॥ ॥ परउपकार मंत्री करी, जीमकर्णने दीधो देश ॥ गणि रंगविजय शिष्य एम लणे, प्रथम ए युक नरेश ॥१॥ ॥ढाल॥ ॥ तुंगीया गिरि शिखर सोहे॥ए देशी ॥राजा एक मिल सजा पूरी बेग, राजकुली बत्रीश रे॥ असना सम राजधानी, बेग करे जगीशरे ॥१॥राजा ॥ ए आंकणी ॥ तेणे समे एक पूतज श्राव्यो, लायो वेरी वात रे॥अम्ह राजा तुम्हे आज्ञा मानो, दी सलामी लद सात रे॥॥ राजा ॥ गोडा नगरी अम्ह राजा कहीए, शंखधर रायनुं नाम रे॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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