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________________ (३१) उपर बहु आणे रंग, रूपे रुमा वयण बोले चंग ॥ १७॥ हाटे बेग पूढे वृत्तांत, राजा दीसे सबल शांत ॥ मोदी कहे सांजलो तुम्हे बाल, प्रधान आगल राजा नवि चाल ॥ १७ ॥ आण दाण महेतानी फरे, शेठ सेनापति सेवा करे ॥ राजधानी महेता घर होय, लवणराय न माने सोय ॥१॥ तब वस्तुपाल फुःख लाग्युं घj, राज्य वायूँ हवे चावमा तणुं ॥ एम कही चाल्यो वमवीर, राजधानी जय जवे धीर ॥ २० ॥ प्रथम जुवे ते पोल प्राकार, गढ मढ मंदिर देखे विस्तार ॥ पड्यां विसंस्रल जीरण थयां, सार संजाल को न करे तिहां ॥१॥जय जुवे ते घोटकशाल, पुर्बल देखे वली रखवाल ॥ हुता तेजी ते टटु थया, अन्न पांखे ते नूखे मूया ॥ २॥ वेगे वाधे मंदिर मांहि, पेखे हस्तीशाला त्यांहि ॥ ऊंचा पर्वत पिते प्रौढी, पुर्बल दीसे मोटी खोमी ॥ २३ ॥ नेश उंट बलद वली गाय, चारोन पामे रेवणी थाय ॥ राणी जाया रजपूत जेह, बोली चाली न शके तेह ॥ २४ ॥ दीन दयामण उर्बल देह, लवणराय राजधान। एह ॥ करवाले चापमा बांध्या कहुं, कहेतां पार किम्हे नवि लहुँ ॥२५॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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