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________________ (१७) सुख उपजे, मूको आलपंपाल ॥॥ सु॥ ए आंकणी ॥ सुपने देखे कुमारिका, चंछ सूर्य सार ॥ पूरे मासे ते वली, जनम्या देवकुमार ॥ ३॥ सु०॥ चतुर नर नले जनमीया, जग जाणो वस्तुपाल ॥ बीजो पुत्र वली जनमीठ, नाम दी तेजपाल ॥४॥ मु॥ उडव मोबव तात करे, माय मन हर्ष अपार | शुभ मुहर्त नले जनमीया, उच्च ग्रह अति सार ॥५॥ सु०॥ दिन दिन वाधे दीपतो, मुख जिसो पूनमचंद ॥ तेजे दिनकर दीपता, शशी रवि सरखा बे नंद॥६॥ सु०॥ वस्तुपाल पहिलो जनमीठ, बीजो ते तेजपाल॥ मात पिता मन हरखीयां, रत्न हुयां बे बाल ॥ ७॥ सु०॥ नान्हा बालक लहुअमा, बे हुलरावे माय ॥ठमक ठमक चाले मलपता, हरखे माय ने ताय ॥ ७॥ सु० ॥ लक्षण बत्रीशे दीपता, वाधे जिम बीजचंद ॥ बहुत्तेर कला कहुं पुरुषनी, जाणे आसराजनंद ॥ए ॥ सु०॥ सामुजिक शास्त्रे वखाणीए, कुमर दीसे एहवा दोय॥ अंग सुकोमल गुण नस्या, दया दाक्षिण्य जोय॥१०॥ सु० ॥ वदने जीत्यो चंद लो, नयणे कुरंग सोय ॥ दंतपंक्ति हीरा जिसी, अधर प्रवाली रंग जोय॥१९॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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