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अर्थ-वली तेवो ब्राह्मण बार जन्मो सुधि गधेमो थाय , सात जन्मो सुधि मुकर थाय , तथा सीत्तेर जन्मो सुधि कुतरो थाय ने, एम मनुक्रषिए पण कहेलु . ॥ ६ ॥
अहिंसासत्यमस्तेयं, ब्रह्मचर्यापरिग्रही ॥ कामक्रोधनिवृत्तस्तु, ब्राह्मणः स युधिष्ठिर ॥ ७ ॥
अर्थ-अहिंसा (दया) करनारो, सत्य बोलनारो चोरी नहीं करनारो,ब्रह्मचारी,परिग्रह नहीं राखनारो, अने कामक्रोधथी निवृत्त थएलो, एवो माणस, हे युधिष्टर!! ब्राह्मण कहेवाय .॥७॥
सत्यं नास्ति तपो नास्ति, नास्ति प्रियनिग्रहः ॥ सर्वनूतदया नास्ति, एतच्चांमाललदाणम् ॥ ७ ॥
अर्थ-वली हे युधिष्टर! ज्यां सत्य न होय, तप न होय, इंडियोनो निग्रह न होय, तथा सर्व प्राणीओ प्रते दया न होय, ते चांगलनुं लक्षण . ॥ ७ ॥
ये दांति दाताः श्रुतिपूर्णकर्णा । जितेंजियाः प्राणिवधे निवृत्ताः॥ परिग्रहे संकुचिताग्रहस्ता
स्ते ब्राह्मणास्तारयितुं समर्थाः ॥ ए॥ अर्थ-जे ब्राह्मणो दमानांदेनारा,तथा श्रुतिथीपूर्ण थएल के कान जेश्रोनां एवा, तथा जीवहिंसाथी निवृत्त
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