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सत हाभ ज्ञान विज्ञानं धाभास गर्छति॥शा ॥ अथ मंडित गए|धरनी स्तुति ॥
॥ गणि मंडित चार ने छठ्ठो हरारे, लवन्स निधि ताई घस तीने हिहाई ॥ सम्स सम्धि पारे अम गह तीव्र हघरे, दुसमन लय चार तेहने घ्यान साशाशात आ
॥ जय भोग्य पुत्र गए|घरनी स्तुति ॥ ॥ मोर्य पुत्राएशीश सातमो वीर सीस, नहींरागनें रीशन्नग ती छेन्गीश पानमे सुरनर सि अंग लक्षएा दुतीस, ज्ञानविभससु रीश सुंथुएंगे रात हिस।ाशा तना
॥ अथ
पितळनी स्तुति ॥
॥ जपित नमीनें जाम्भो ने उहीनें, तस ध्यान घरीनें पाप संताप छीने। समडित सुज हीनें प्रड़ समे नाम सीलें, दुशमनस विजीने ज्ञान सीसा सहीनें ॥ थार्धति॥प
॥ अथ अयसनातनी स्तुति ॥
॥नवभा ग्ञथैतत्यात विश्वमां ने विष्यात, सुतनंघभात धर्मा वहात ॥हृत संशय पात संन्ग्भे पारी लता हसित दुरित न्नत ध्यानथी सुजात ॥थार्धति ॥
॥ जय मेतार्यलनी स्तुति ॥
॥ दृशभो गए।घर वजाएगी जार्य मेतार्य न्नगो, सह्योशुलगुएा गएगो वीर सेवा भंडएगो ।। अछे खेड़ी ने गणो दर्भने चा ल जाएशो, से परम दुआएगो ज्ञानविभत चित्त खाणो ॥ शार्धतिन्छ ।। अथ पलास गए।घरनी स्तुति ॥
॥ श्रोमहश प्रलास पुरतो विश्व यश, सुरनर न्ग्ग हास चीर यएंगे निवासान्ग सुन्ग्सवास विस्तरचो न्युं जरास, ज्ञानविभंस निवास कुंनपुंनाम नासाशा ॥ति॥
॥जगीयार
गएराधरनी थोयो समाप्त
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