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________________ ( ३५ ) ॥ जय शंजेश्वरलनी स्तुति ॥ ।।शंजेश्वर पासल पूछनें, नरत्नवनो साहो सीलसें ॥भनवंछि तपूरए सुरत, न्यवाभा सुत जलवे सरे॥१॥ होय राता निवर तिलता, होय घोला ग्निवर गुएानीसा होय सीसा होय शामल उह्या, शोले न्निधन वर्षा सह्या ॥शाखाणमते निनवरे लांजिग्यो, ग एघरते है यडे राजीग्जो ॥नेनो रसनेणें पाजीखो, ते हुश्नो शिवसुजसा जीखो | आधरणीधर राय पद्मावती, मलुपार्श्व तथा एाणावतीपास हु संघनां संम्रचूरती, नयविभलना वंछित पूरती ॥ना तिरपण ॥ अथ नवपहना जांजीसनी जोसीनी स्तुति ॥ ॥ वीरन्ग्नेिसर, लवनहिएरोसर, न्ग्गहीसर न्ग्यडारीन्डश्रेणी उनरपति, नागपरंपे, सिध्ययक तप सारी लासमति दृष्टि, त्रिज्य एाशुध्धें, ने लविया नाराधेन्नाश्री श्रीपाल, नरिंपरेंतस, मंगल उभावाधे नाशाश्नरिहंतविथें, सिध्यसूरि पाठङ, साहु निहुहिशिसो हेन्नाहंसएरा नाएा, परानप विधिशें, स्नेह नवप मनमोहेन्छाना पांजडी, हृध्यां रोपी, खोपी रागने रीशळा जोड़ी पह, जेउनीण शियें, नवश्वासी वीरान्ाशाजाशी चैत्रशुहि सातभथी, भांडी शुल भंडाए। न्ानवनिधिहायङ नव नव जांजिल, खेम जेमशी प्रभाएाल हेववंदन पडि भएं पून्न, स्नात्र महोत्सव पंगळा ओह विधिस घलो निहां डीपदेश्यो, प्रएाभुं अंग डीपांगला आतप पूरे जन्मकुंडी लें, सीनें नरलव साहलान्निगृहुपडिमा साभीवत्सल, साधुलस्ति ीित्साहुन्याविभसेसर राहुडेसरी हेवी, सान्निध्यडारी राजेश्रीगुर जिमा विन्यसुपसायें, मुनिन्नि महिमा छाने कानार्धति॥रा ।। जय पन्नूसएरानी स्तुति ॥ ॥ पुएयनुं पोषएा, पापनुं शोषएा, परख पन्नूसा पामीलााउष्प For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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