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लीति पृथुस तेत्रीश धनूरे, भेड कर अंगुल खाधामनोगारत्तेनेरसें धनुखांतरे, वीथी पएासें धनु शाभनोगाच्या पावडी नाशसह सहसरे, पंच पंथ परिभाए।।मनोगानेऽऽर पीहु वीच पोरे, प्रत रपयास धनुभान मनोगापार्थिवी जात्रा तोरणारे, नीलरत नभय रंगाामनोणा भन्हें भणिभय पीडिमरे, लूंई थी जढी गाडी तुंगााभनोगाशाहीर्घ पृथुस जशें धनुरे, न्नितनु भानेीं थमनोव साथैत्य सहित जशोडतरे, न्निथी जारगुए। डींचामनोगाजथिवी हिसें यणी सिंहासने रे, भाई धीभर छत्र जाशामनोगाधर्मचक्र स्पेटि उरननुंरे, सहसन्नेयएा ध्वन्याशाभनोगावछंही घेशान हूएरोरे, प्रनुचीसाभाठाभाभिनोगा श्री उपेहीये हेसनारे, लामंडल - जलिराम ॥भनोगापासुनि पैमानिङ साधवीरे, रहे अग्नि जलाम आशाभनोगाल्योतिषी लुवनपति व्यंतरारे, नैऋतोनसना रिशाभनोगावणावायु दूरोने देवतारे, सुएरो निनवरनी वाएगी भ नोगावैभानिङ श्रावङ श्राविारे, रहे ईशान ठूलो सुन्नए । मनोगा१शा पपीहेपीय ने साघवीरे, पीली सुएरो बीपदेशाभनोगातिर्यय सहु जीनें गढेरे, भीने वाहन विशेषामनो ना१शावृत्ताारें पडी बावडीरे
वीरंसी आठवाव्या मनोगा प्रथम पनरसें धनु जांतरेंरे, जीने सहस धनु लावा मनोग १ ॥ २५ए। लीतगढ जांतरे, रत्तं धनु शत छच्चीशाभनोगार्थवीरस भए। सहुसनुंरे, भिसाजहीयेनग घीशाभनोणाश्नातुंजर पभुहु तिहां पोसीयारे, धूपघटाभगम
मनोगाद्वारे मंगल ध्वन पूतसी रे, दुंदुलियाने ताभाभनोना१पा हिव्य ध्वनीसमने सहुरे, भीडी योग्न विस्तार शामनोगासुएातांस मता सकुलवनेरे, नहीं विशेध सगा ॥मनोगा१५॥ तीस जतिशथ विरान्तारे, घोषरहित लगवंत । भनोणा श्रीतशचिन्थ गुरेशिष्यनेरे, निन पर सेवा जंत॥मनोगा।छति ।। ।। !!
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