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________________ ( ४२२ राउ साहेज हशदृष्टांते हो हिलो, साहेज डीनम दुख सांभाणासाहि जपाभ्यो पाहारिणयो, नेभरलें बीडाड्यो जागा अंम्वारणाना साहेज षड्रस लोन्ग्न जहुयां, साहेज नृप्तिन पाभ्यो जगाशासा हेज हुंरे अनाहि लूसमां, साहेजरन्ग्स्यो घणो संसाशाश्नेश्वार पासाहेज सन्न्न मुटुंज भेष्या घएगां, साहेज तेहने दुःजें दु:जीथाय साहेजलव भेज्ने उर्भन्नून्नूजां, साहेज तेहुथी दुर्गतिन्नयानेज्वा २०॥शासाहेज धन भेलवा घस भस्यो, साहिज तृष्णानोनाव्यो पाशासाहेज सोलें सर पर बहुअरी, नन्नयोपुएयने पापच्यापाशाने वारणानासाहेजनेभशुध्याशुष्य वस्तु छे, साहेज रवि उरेतेहु प्राशा साहेज तेभरे ज्ञानी भले धडे, नेतो खापे समतिवास ॥राजेस्वारा साहेज मेघवरसे छे पाउमां, साहेज वरसे छे गाभोगामसाहिज ाभकुठाम ब्लुजेनहीं, साहिज मेहुवां महोटानां गभनेउचारणा साहिज पस्यो लरतने छेडले, साहिजतुभेवस्या महाविहेतु भोन्नरा साहिज दूर रही डरें वहना, लव समुहषीताशे पाशाने वाश्णावणासाहिष्जतुभ पासें हेव घएावसे, खेडभोऽसन्ने महाशया साहेज भुजनी संहेशी सांललो, तो सहेलें सरे भुत अनाजे ११ साहेज हुतुमपानी भोन्डी, साहिज हुतुभ हासनी घसासाहिजज्ञा नविभलसूरि भेभलएो, भने राजो तमारी पासाङवारणा१शा ॥ अथ ब्लूंजजडा सभोसरए। स्तवन ॥ ॥ त्रिशसानंदन पंहीये रे, सहीयें ज्ञानंद अंधा मनोहरन्लूंज ब्लूंजजडा ब्लूजी रह्यारे, श्रीवीर तएंगे हरजा शाभनोनासभोसर विरान्तारे, सेवितसुरनर द्यामनीनाशाभावी लेग्नदृष्टिङरेरे, - ड्रेस लरेन्लनु भानाभनोगामणि रयएगें लूतल रथैरे, व्यंतरनारा लनाभनोगाशाऽनङ डोशीसां रूपाणढेरे, स्थै लुवनपति सा मनोगारतनङनङगढ ज्योतिषीरे, भणि रत्ने सुर ईसा मनोगाउ Jan Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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