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पते, म्हा जीवन नवे ॥शसल छार न छांडहिं, म्हागंग नहावे॥उहारेना डाली जीन कुभाएासां, रंग दूलेन श्रावै ॥ श्रीनिनरानीं उहा, वाडोस हिन भिटाने ।उहारे • || आर्धति॥
॥ अथग्जेाध्श पहं ॥
॥ भेरे साहिज तुमहिं हो, प्रनुपास निएİघाटे आजिनभतगा रगरीज हुँ, में तेरा जंघ ॥ मेरेनाशा में चोर डीं पाहुरी, नजतुमहिं संघायिकवाङ परे हुर्ध रहुं, नज तुमहि हिएांधा भेरेनाशा एयसा यश्नजतुमलये, सुरसरिता अभंा ॥ मेरेगा आमधुर परें हुं रए। नएयो, नजतुं श्रविंधलक्ति डरें जगपति पेरें, नजतुमहिं गोविं घाभेरेणानामहिर डरो हाहापास,टापोलवा ।वाय नशङ हे सांतुं, आपी परमानंदा ॥ मेरे॥॥॥॥
॥ अथ प्रथम पहं ॥
॥ राग जलैयो विसावसाश्रीनिन नाम जाधार, लविन्नग्ना श्रीनिवासे आएगी || आगम भक्त संसारीधितें, जैन जीतारे पाशालविन्नगाशाडोटिन्न्मडे पापउरतहे, पाल सेत खेडचारा शिष्य सिध्यतेरे परनशुंलागी, जानंद होत जपाशालविनाशापशु तेधन्य धन्य ते पक्षी, ससरे अवताशानाम विना भानव लवदेव सबलडुबे है छाशालविगाणानाम समान खोर नहिं नगमें, डहुत पु द्वार पुझर राद्योनंत नाम तिहु पर ननमें, स्वर्ग भुक्ति हाताशालविनान
॥ अथ द्वितीय पहं ॥
॥ ज्ञान हुम श्रीतिन हरशन पांयो, ज्ञान हम श्री नाटे झाडासच्ज नाहितपुंसज उष्मष, सो सजदूर भायो॥श्राननशाचरएास सलये श्रावत प्रलुपें, शीस ससनभी पायो॥सोयनलये हमारे
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