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________________ ( ३४५ ) जरा निनलालविणाआधार तलने पथि ललने, पटशुं समताडीबेंगपंचमी गति डारएा परमेसर, घ्याने रंग रमीनें ॥ालविणानामं गला जयिशनंहनमहीटा, पंथभी गतिना नेता। चार निजेपालवियाननने, सङ्गस महासुज हेतालविगाचापिथिमी निनवर पश्चिमी चक्री, शीसभा श्रीनिन हा सुमतिस गरधरांजन सेवा, रामन पेगुएारंघालविणा॥ हतिया ॥ जय महावीरस्तवन ॥ ताहारे वयो भनडुं वध्युरे, गिखाशुए। हरियानाहारे पर ऐो पित्तहुं लेसुंरे, मीठा डामीया॥जे जांएगी ॥ साम्राजथडीप एा अघिडी, प्रलु महाश भीडी ताहारी वाणी ।। सांभसतां संतोषन वे, अमृतरसनी जाएगीरे ॥ गिरवाणाभावयन नाहीं सांलसवाने, प्र लुगा नाश यर्धने रहीयें॥ भुजडानोते भटडोन्लेतां, दूरी दूरी लाभो नर्घयेागिवानाशाऋष्धिवंता जुहुरान तलने, प्रलुगाने तुनचयए नारसीया । सघसीवात तगी रस छांडी, जावी सुन पश्एोवसीयारे शिरखाणासुरनरमुनिवर नगभनलाची, प्रलु महाराग्रंथेने एजाएगी॥श्रीनिनवीर तएगी सुएगी बाएगी, जून्या जडुलवित्राणीरे शिश्वाणानात्रए। लुवनने पावन अश्खा, प्रलुगा निरभल ने निरी डीघ्यरत्न उहे लवनसतखा, सही नावा संवरएगीरे ॥ गिरवानाचा ॥ अथ शत्रुन्य स्तवन ॥ पनर्धयें नर्धयें शत्रुनेरे याखी, खेतो भुने वाटडी लागेछेवा दीर्घणीबाटें जाव्यारे न्नएए, प्रलुभहारा पूश्व नवारान गाशा एीबाटे छत्ररी पाले, तेतो सही नश्लव जन्नुवासे ॥ बीडेडीউछएगी रे जेहड़ी, घेएगीवाटे निर्मलथाशे हेहडी ॥निनाशाभर हेपी भानोरेल यो वाली भाहारी नेवारनी जसन्नयो। शत्रुन्न शिजरेंरे सोहे, प्रलुभ Jan Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibraryg
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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