________________
( ३४४ )
नेशोसमोशारसीयातीर्थडेर लगवान ॥ रसीयाळ होय पहोङलवें लोगव्यांरे ॥ रसीया ॥ श्नतुष्य हे पुएय निघन ॥ रसीयाला शिवनाशा पोनें तीर्थपतिथयारे ॥ रसीया । पुत्रछे गए।घर नस रसीयान्नापिन्य धन्य नेहुना वंशनेरे ॥ रसीया। अवियल ब्लेड भेजासारसीयाळाशिवगान्गाङ्गुरन्गवास होरे ॥ रसीया ॥ डेवल उभसानो तर सीयाला चार ग्जनंत पहलोगवेरे ॥ रसीया लागें साही अनंता रसीयाला शिवनानायक्षगड प्रभु संघनारे॥ रसीयाविधनउरे विसराल श्सीयालाहीपविनय विशन्ग्नेरे॥ रसीया ॥ प्रगटेभं गल भास ॥ रसीयाळा शिवणाया त
॥ अथ ऋषलनिस्तवन ॥ ॥शेत्रुन्मनो वासी प्यारी लागे ॥ भोशराळा ॥शेबुंगा जेएोरेदुं गरियें लगी लगी मेरी, पीपर शीजर जीराने ॥भोरानाशेबुंगाथा घेणे गिरियें साधु जनंता सीधा, हेतां पारन जावे ॥ भोश नाशेभुंगा आशाडाने झुंडल भुकुट जिराने, जांहे जान्नुजंध छाने ॥भोरानाशेत्रुंगा यौभुज जिंज अनुपम जिराने, अहलुत हीठे दुःज लांने ॥ भोरानाशे लुंगानाजाना पहन जोर ग्नश्णन्न, प्रेशर तिसङ्ग जिराने ॥मोराणाशेत्रुंगापा। ज्ञानविभस प्रलु अपनी सेवङ, हलव पारणीताशे भोराणाशेबुंगा॥ ॥र्धिता
॥ श्नथ सुभति न्नि तथा शांतिनिन स्तवन ॥
॥ लवितुमेवंधेरे सूरिसर गछराया ॥ जे देशी ॥ लवितभेवंही रेसुमतिने शांति निनंहारासंजपुराना जे हेरामां, जे होये सूरन यहा पालविनाशालाग्य लसे लेट्यालयलंग्न, लवनी लाव लागी रादुसभ आरेग्नेड़ महोध्य, ने प्रनुशंसय सागी ॥ालविणाशाउंदैन वरएातनुसुंदर सोहे, वहन अनुपमनीओ॥ सुरनरडोड भल्या खुरडोडी, भुज हे
www.jainelibrary.org
Ja Educationa International
For Personal and Private Use Only