________________
१०
शानिहांथी समडित इरशीवीं से, तिहांथी गणिकमेंतेड़ा धीरवि भल पंडित तो, ज्ञानविमल गुएागे ॥ आ र्धति॥रना
॥ अथ यैत्यवंधन प्रारंभ ॥
॥ आहेब जरिहंत नर्भु, समतारं नामान्यांन्यां प्रतिभा न्नितंएगी, त्यांत्यां प्रणाम ॥शा शेबुंने श्री आहेिब, नेमनभुं शिरनाराातारंगे श्रीग्जन्तिनाथ, जाजू ऋपल ब्लूहार ॥शासष्टा पह गिरिडीपरें, न्नि पोषीशेन्जेय ॥ मणिमय भूत मानशुं, लय तें लुराबी सोय आसभेत शिजर तीरथ बडू, निहां वीशेनिनपा यावैलार गिरि पीपरें, श्री वीरनिनेश्वररायानामांडवगढ नो रानियो, नामें हेवसुपास ऋषलम्हे निन समस्तां, पहोये मननी जाशाचा छति ॥
॥ अथ श्रीपंथपरमेष्टि चैत्यवंदन ॥
॥ जारशुए। अरिहंत देव, प्रएाभिनें लावें ॥ सिद्ध माहगुएास भरतां, दुःज होहुगन्नवे ॥१॥ साधारन शुए। छत्रीश, पथवीशजी बाय । सत्तावीश गुएा साघुना, न्पतां सुजथाय ॥ाशास्त्रष्टोत्त रसय गुए। भषि से, खेम समरोनवारााधीरविभल पंडितत सो, नय प्रएरामे नित साशा पार्धति॥२॥
श्रीवीशस्थानङनामयैत्यवंदन ॥
॥ अथ ॥ पहेले पह खरिहंत नर्भु, जीने सरख सिद्ध । त्रीने प्रवथन मन घरी, श्रीथे आधारन सिन्द्ध ।शनमो थेराएवं पांयभे, पाउड गुएा छड्डे । नमो लोग्ने सञ्च साहूणं, ने छे गुएा गरिने ।शानभोनाएास्स आहभे, घ्रशन मन लावो ॥ विनयकुरो गुएावंतनो, था रित्र पर घ्यावो ।आनमो जंलवय धारियां, तेरमे डिरियाएानमो
Jan Educationa International,
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org