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________________ inite (313) रंगसानो टपो॥मति मुरिलो संग, तन मन हुभति कुरिसमे संगातिन्नाटेझान्नडे संगत कुजुषि पीपन्तापडत लग्न में लंगातन्नाशाजैवानेसें उपर युगत है । श्वान नसावत गंगात नभननाशाजरडुंडाहा अरगन्न सेपना भुगर खालूषए। अंगातिन आआअहारे लयो पय पानं उरतां ॥ विषहुन तन्त लोरंगातननाना आनंदघन प्रलुडारी अमलियां । चिढत न दून्ने रे रंगातननाचा मरा राग नंगलो॥ छोड मायालसरे, भन तुं छोड भायान्नता छो डवाटेमालभर पीड जग जाग्ने जेड ।।नराडे रजवास ॥भिनगाशाजा से जांधी शिला शिरपराजये देताङ्गाणामनगाशात चैतनश्चैतमा नेपाघडी घडीयासमनणाआभात तातं जोर लात लाभिनी।सछी डेसेवाशाभनगानान्निरान संग यस्योपीवेजी, प्रभुनाभ संलाणवभनगामाजीतराग अड्डा उह्यो । जात प्रगट नीहा शाभननाशा सोन उर सुज होने ध्यानतें ॥ शुध्य अनुलव सार ॥ भनणाजा ॥ प्रे रागनंगलो॥शावरागुएरा गागरे, प्याराऋषल डेसरीयाशा मराणाटेझाडेसर पंहन लरी ज्योणी। मांहे जरास लेणायुं शाप्यारा शाडाने मुंडण अधिङ जिराने ।। भस्तम्भुगट घरावुरेश प्यारानाशा सुनसुन उसीयां पंथ जरनडे । शिरपर सेरा घरापुंरे ॥ प्यारानाआऋषलास उहे तुही नगत में ॥ २ए। कुंभण नित्य माहुरे ॥ प्यारानाना साधा. ॥राग नंगली ॥ जरल शीडारी खापो । सेवा जमली श्लगारेझाडास अनंत हुं दुःज जहु पायो॥ मज तो सुपी निनवाए जलनाशावाएगी सुनत भारंभन समन्नयुं ॥निनवर प्रलुडुं पिछा नी॥जरलणाशा ॥धति॥ Ja Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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