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पगवटीयें लेसाङश्यारे, उहे मुनि व्यग्ने भाणसिंसारे लूसालमोरे, लाव भारण व्जपवर्णरेप्राणीणाचा हेव गुरे जोस जावीयारे, हीघो गि घिनवडाशपछिभ माहाविदेहमांरे, पाभ्यासभक्तिसाररे ॥ पाएगी साशुलघ्याने भरी सुर हुजरे, पहेसासर्गभनशापत्योपभा युधवीरे, लरत घरें अवताररे ॥प्राणी गाणानामें भरी थी योवनेरेस यम सीखे प्रलुपास दुष्कर परए। सही थयोरे, त्रिदंडी शुलवासरे
ढास जीला विवाहसानी देशी ।। नवो बेसरथै तेएणीवेला, वि पेरेजाहेसर लेसन्स थोडे स्नान विशेष, पण पावडी लगवे पेशा शाघरे त्रिदंड साडी महोटी, शिर मूंडएराने घरे थोटी ।वसी छत्रविले पन अंगें, यूसथी व्रत धरतो रंगें।ाशासोनानी ननोर्ध राजे॥ सहुने मु निभारग लाजे॥सभोसरएो पूछे नरेस, अर्घ भागे होसे निनेसाआ निरंपे लरतने ताम, तुन पुत्र भरीथी नाभागवीर नाभे यसे निछे ला, खांलयतें वासुदेव पहेला राजा चक्रवर्त्ति विधेहें थासे, सुगीजाव्यानरत डील्लासें । भरी थीने प्रदक्षिणा घेता, नमी वंहीने खेभउहे तापातमे पुन्यार्धवंत गवासो, हरियकी परम न्नियासोपानविवं दुं त्रिदंडी वेस, नभुं लम्तियें वीर निनेस |शामेभस्तवनाउरी घेर नवे, मरीचि मन हुर्षन भावे ॥ भहारे भए। पृथ्वीनी छाप, घान्नियकी जापााणान्नभे वासुदेव पुरथर्धशुं, कुस जीत्तम महारं उगाना
कुसमहशुलराणी, नीय गोत्रतिहां जंघाए ॥ जेहिनतनु रोगें व्यापे, अर्ध साधु पाएगी नग्नापे॥ त्यारे बंधे थैलो भेड़, तव भलि जो उपिस जविवे आहेशना सुट्टी हीक्षा वासे, उहे भरीधितीग्जो मुनि पांसेशन पुत्रहेतुभपासें, पेशं नमें घीक्षा जस्सास पिणा महरशने घरमनो वेभ, सुखी चिंते मरीचि खेभा भुन योग्य भस्यो श्मे थैलो, भूख उडवे उडवी येसो ॥१॥ मरीचि उद्दे धर्म ीलयमां, सीये दीक्षा यौवन वयमां॥ग्नेएगें क्यने बध्योसंसार, नेत्रीलेऽह्यो भवता शापशासाजयोरासी पूरव खाय, पासी पंचमें सर्ग सघायादृशसा
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