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उरो महाराज, डिंडर लीगलज्तवत्सप लगवंत, गाडीनेंशसेव उने सुजान, हरिशन हीनें रेशा शात्रा लुवनभांतेल, ताहारं सहियेंरे तरए। तारएग निहान, प्रलुल उहीयेंरेशाध्य ज्भलभांध्यान, प्रलु धनुं परीयेरे गलवोलव संचित पाप, क्षएामांइरिये शाशारान्यही भांशय, याध्ववंशीरे॥सुजभित्र पद्मावती नार, गीत्तभहंसीरेशानी दुजें अवतार, प्रलुनी जाज्यरे ॥ मुनिसुव्रत मनोहार, नाम सोहाव्योरे आवीश धनुष तनु मान, पलुनी गयारे ॥ दुर्भछन सार, प्रएाभेपा यारे॥ावर्षत्रीश हुन्नर, ग्नायु पाल्युंरेशन्नभ भरएानुं दुःज, सर्वेटास्युं रेनामातरभां मनरंग, प्रलुलवसिया रेशा नित्यसेवो नरनार, प्रलु गुए। रसिया रे ॥धन्य धन्य भातरश्राम, महान्न सुजीयारे॥प्रलुथीने रहे दूर, तेलहुँ दुःजीयारे॥चाश्राव सर्व जहुसंघ, जेटङ पुरनुरेन् त्रायें ग्खाग्यो तेहु, जाहेस सही गुईनोरे ॥शशी वसु जाएालुवन्न, श्रा वाभासेंरे । शुहि सातमहिन संघ, नाच्यो आसेरे॥शान्तन्मत्रानो योग, तेहिनडीघोरे॥प्रतिष्टानो पाल, जष्टमीयें पीधीरे रंगमंडपभांरंग, जोच्छव थायरे ॥ नृत्य हरे नरनार, मेलुगुए। गाय शास भक्ति घरसो भन्न, तो प्रलुं भससेरेगसाज थोराशी जाएा, रेशटलसे शामान खपिज्जानंघ, प्रलुल भलियारे ॥ भातरभां मनरंग, मनो रथ इलियारे ॥टीघ्यरत्न जीवाय, पाटें बहियेंरे गणित्तभनैन रतब्न, ग्नधिम्म उहियेंरे ।जिभा रत्न गुरै राय, तास पसायेंशाशन्य तन हिनरात, प्रलुगुएा गायरेशा र्धिता
॥ अथ श्रीषलग्निस्तवन॥
लूंज जडाना देशीमांग्जाहिसर न्गहीसरे रे, जपधारोज रिहंतारानेसर साहिजा भनोहर साहेजा रसायो भनभेतुं भल्युंरे, प सउन छोडुं पासा रागात दुहुथ्यो पएाजीने नहींरे, प्रलुतुमछेगिन रिभहुतारानेगातोन्यायें सहुडी उहेरे, जंतेशुं जरिहंतारानैनार
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