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मथ यैत्यवंटनाघिजार प्रारंभः॥
॥मथ सीमंघरग्नियैत्यवंन॥ ॥ श्रीसीमंघरचीतराग, मिलुवनणपणारी एश्रीश्रेयांस पिता खें,जशोलातुमारीपाघन्य घन्यमानासत्यजी ऐनयोग यधारीतषलखंछनेंजिराग्भान,पंटेनरनारीशानुषपायन शेरेडीमे,सोहीजेंसोवनवानामतिविन्यणवडायनो, पिनया घरेतुमध्यान जाति
॥मय सीमंघरग्नियैत्यवंटन। सीभंघरपरमातभा, शिवसुननाघतापपुज्जवर पिण्ये ग्यो,सर्वलवना तातापापूर्वपिटेरू पुंडरी गिणी,नयरीने सोही श्रीश्रेयांस रानतिहां, लधियानां मन भी शायौसुपन निना भलपही, सत्यजीराएीभाताउँथे भरग्निांतरें,सीभंघरग्निमतानामनुग्रमें प्रत्लुग्नमिया,वसी यौवनभागभातपिता हर उरी, रज्मएीपरएावाचालोगवीसुजसंसारनां, संयम भनपावरमुनिसुव्रतनभिनंतरे,दीक्षाभनुपावापाघाती भनोक्षयरी, पान्या उचल नागादृषलखंछनते शोलता,सर्व लायना लगायायोरासीप्रमुगराघरा मुनिवर मेऽशोजेडीए पालुपन नेयतां,नहीं महनीनेडीएगाशलाज उयाले यसी,प्रत्लुन्छनो परिवारााऊसभयत्रए अखनालसपि पारााटाणध्यपेढालाग्निांतरें मे, थारो स्निपर सिध्यानशपि यगुरप्रगमतां,शुलपंछित जाषिध्याति सभघरग्निपैत्यनाशा
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