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( १९१४ )
तन्मयरे ॥शासुएा भनभधुर भाहरी वाताभ डर शेडट विलुपात सुनाने मांडणी ॥ विषभाल वरषाऋतुरे, क्रमें क्रमें हुयोज्यती ताछेहली पुण्गल परियट्टी रे, जाज्यो शरह प्रतीतरे ॥शासुनाज्यानावरएं। चाहते रे, ग्यान सूरन पराशा ध्यानसरोवर विज शीयांरे, डेवल लक्ष्मी वासरे । आसुनानामें सलयाचे डोरे, डोड नव नवराणाश्नेहवी वासना नही जीने रे, शुध्य अनुलव सुपरागरे नासुवालभतां लभर उहावियेंरे, भघुउरनो रसस्वाद्याभानविन यभनने उहेरे, रस या जो खड़ाहरे॥॥॥र्धतिय
॥ अथ श्री नेभिन्नि स्तवन ।
॥ श्ज प्रलूशुंर्धतनी उहूंगा ने देशी ॥ नेभिनिएां निरंन्ग्एाो नई मोहथले न्ग्स सिरेशमोहना बीहलर गोपी, मेडल भलें नांज्या ठेलिरे । साभिससूला साहिजा । जतुसीजस तूंचडवीर रे सागाने मांडणी ॥ओर्घउ नाडी भूस्ती, अतितीजां उराक्षनांजा एरेशवेघज्वयए। जंधू गोसी, ने सागे नये प्राएारे शाशासागानं गुती उयरी घोयती, डीछालत वेणी पाएारे । सिथोलासा गाभ ती. सिंगी नसलरे डोड जाएगरे ।आसानास घडा गोलान्हाजे, ने सत्व गढे हरे पोटरे ॥ हुययुग अरि मुंलस्थले, प्रहरती ह्यङपाटरे मासानाशीस सनाहु बीन्नत सत्चें, ग्जरिशस्त्रना गोसानसाणारे शासो रहरी मिथ्या सवे, मोहु सुलट ही हीसे लागारे पासागातपनव लव यो हो मंडयो, सल विवाह मंडप डोटरे । मनु पानस सनभुजग यो, नीसाएंगें हेती धोररे ॥शासाना चाहरी मोहनी छोडवी, शब्नुसने शिवपुर हीघरे ॥ जापरैवत गिरि थढी, लीतर संयमगढ सीध रेशाणासांगाश्रमएाधरम योद्धा लडे, संवेग जडुघविठालरेशाला स उस बीजाडतो, शुल लावना गडगडे नासरे ॥ तासागाध्यानघा राशर वर्षती हुएगी मोहथयो नगनाथरे ॥ भान विनय वाधड
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