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________________ त्रीश हजार ॥माहाणाशा राजा गज शणगारया मलप ता, तूर्य तणो नहिं पार ॥ राजा बहु सामग्रीय संच स्यो, साथे मंत्री अजयकुमार |माहा॥३।। ढोल ददा मा गडगडे, सरणाश्ताह रसात ॥राय गजथकी हेग ऊतस्या, श्रावी वांदे प्रजुजीना पाय | माहा० ॥४॥ राय त्रण प्रदक्षिणा देई करी, श्रावी बेठा सजा मोकार ॥ राणी चेलणा लावे गहूंअली, साथे सखि योनो परिवार ॥माहा ॥५॥राणिये घाट उठ्योरे घूटा तणो, राणी चेखणानो शणगार ॥ राणीये कुंकुम घोल्यां कुंकावटी, गणिये लीधुं श्रीफल श्रीकार ॥ माहा॥६॥ राणी चेलणा पूरे गहूंथली, माहा वीरना पावला हेग ॥ राणी बहु परिवारें परवरी, राणी गावे गीत रसाल ॥माहा॥७॥ राणी सली लली लीये रे खूषणां, राणी पूजे प्रजुजीना पाय ॥ माहावीरनी देशना सांजली, समकित पाम्यो नर राय ॥माहा॥णाप्रनु तुमसरीखा गुरु मुऊ मख्या, म हारी पुर्गति र पलाय ॥ प्रनु सेवक जाणी तार जो, मुने मुक्ति तणां सुख थाय ॥ माहा ॥ ए॥ ॥अथ श्री जीवानिगमसूत्रनी गहूंली चौथी। ॥जवि तुमे वंदोरे सूरीश्वर गहराया ॥ ए देशी ।। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003688
Book TitleGahuli Sangrahanama Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1908
Total Pages146
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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