SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६२ ) पद पांचमुं ॥ राग सोरठ गिरनारी ॥ मुने वाहा लो लागे बे जिन राजरो दीदार ॥ मुने ॥ श्रांकणी ॥ नाजिया मरुदेवीका नंदा बो जी, तीन भुवन शि रदार ॥ मुने० ॥ १ ॥ मुकुट अनोपम हीरे जड्यो बे जी, कुंमल मुगताफल हार ॥ मुने० ॥ २ ॥ अद्भुत रूप अनुपम विलोकत, उपजत जाव अपार ॥ सह जानंद ऐसी बबी पेखत, पायो जवजल पार ॥ मु० ॥ ३ ॥ पद बतुं ॥ मूरत मोहनगारी जिनंदा तोरी मूरत मोहनगारी ॥ एकणी ॥ दरिस तोरो मोकुं दरि स देवे | उनकी में हे बलिहारी ॥ जिनंदा० ॥ १ ॥ हरिहर ब्रह्मा मोरे दिल नहि आवत ॥ लागत ए मोये प्यारी ॥ जिनंदा० ॥ २ ॥ त्रिसला मात मल्हा रज गावे, पावत शिव दरबारी ॥ जिनंदा० ॥ ३ ॥ पद सातमुं ॥ राग बिहाग || नाजिराजा घर जाई, सब मिल देत बधाई ॥ एकणी ॥ नाजि राजाजी कुं पुत्र जयो हे, सब सखियन मिल मंगल गाई ॥ सब० ॥ १ ॥ इंद्राणी मिलि मंगल गावे, मोतीयन चो क पुराई ॥ सब ॥ २ ॥ श्रीश्रदिश्वर दरिसन कर रे, चंद विजय गुण गाई ॥ सब० ॥ ३ ॥ इति ॥ पद श्रमुं ॥ राग काफी ॥ खतरा दूर करनां Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003687
Book TitleStavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy