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(४५) गी० ॥३॥जो ध्यावे सोइ फल पावे, चंदकीरति गुण गावे ॥ मन लागी० ॥४॥
पद त्रीजुं ॥ गजल ॥ राजूल पुकारे नेम पिया, एसी क्या करी॥ मेरेकुं डोमके चले, चूक हमसे क्या परी॥राजु ॥१॥ हुश्श्राशाकी निराश, उदासी नता घमी ॥ प्यारा बस नही हमेरा, प्रीतम पीरमें पमी ॥ राजु ॥२॥ हमसे रह्यो न जाये, प्रीतम तुम विना घमी ॥ संयम लीजीयें दयाल, दया धर्म श्रादरी ॥ राजु ॥३ ॥ निशिदिन तुमेरा नाम, देते ज्ञानकी करी॥ मुनि चंद विजय चरण कम ल, चित्तमें धरी ॥ राजु ॥४॥
पद चोथु ॥राग विजास॥प्रजुजीको दरिसन पायो री, आजमें प्रजुजीको दरिसन पायो॥टेक॥ वांबित पूरण पास चिंतामणि, देखत कुरित गमायोरी॥श्रा ज०॥१॥ मोहनी मूरत महिमा सागर, कीरति सब जुग बायो॥याज ॥नानुचद प्रन्नु सकल संघकू, आनंद अधिक उपायो री ॥ आचण ॥३॥
॥श्रीज्ञानसारकृत पदो॥ पद पहेदूं ॥राग आशावरी॥क्या नरोसा तनका, अवधू क्या । जिन्नरूप बिन जिनका ॥ श्रव
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