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लण जल्यो चिहुं उरी ॥ या २ ॥ चल गिरनार पिया दिखलाऊ, नेह निवाइन धोरी ॥ हिल मिलि मुगति महोलमें खेले,प्रणमेजस या जोरी॥या॥३॥
पद नवमुं॥ राग काफी ॥ देखतही चित्त चोर लीयो हे ॥ दे ॥ सामको नाम रुचे मोय अहनि श, साम बिना कहा काज जीयो हे॥दे॥१॥ सि द्धि वधूके लिये मुफ बोरी, पशुअनके सिर दोष दी योदे॥परकी पीर न जाने तासौं,बेर बसायो जो नेह की योहे ॥दे ॥॥प्राण धरं में प्रान पिया बिन, वज्र हथें मोही कठिन हीयोहे॥जस प्रजु नेमि मिले दुःख मास्यो, राजुल शिव सुख अमृत पीयोहे। दे० ॥३॥ ___ पद दशमुं ॥ राग धन्याश्री ॥ जिन तेरे चरन सरन ग्रहुं ॥ हृदयकमलमें ध्यान धरत हुं, सिर तुज आण वहुं ॥ जिन॥१॥ तुज सम खोल्यो देव खलकमें, पैयें नांहिं कडं ॥ तेरे गुनकी जपुं जप माला, अहनिश पाप दडं ॥ जिन ॥ २ ॥ मेरे मनकी तुम सब जानो, क्या मुख बहूत कहुं ॥ कहे जशविजय करो तुम साहिब, ज्यु नवदुःख न लहुँ ॥ जि० ॥६॥इति ॥
पद अगीयारमुं ॥ राग रामकली ॥षन देव
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