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________________ घंट बजावं ने अगर उखेवू, करं प्रदक्षिणा फेरा रे॥ मुजरा ॥३॥ पंच शब्द वाजिब बजावू, नृत्य करूं अधिकेरां रे ॥ मुजरा० ॥४॥ रूपचंद गुण गावत हरखत, दास निरंजन तेरा रे ॥ मुजरा० ॥५॥ ४ लागी तेरे दरसकी खुमारीयां ॥ लागी तेरे॥ ॥ टेक ॥ नांग धतुरो मुने केफ न नावे, बिन के फे सुध बिसारीयां रे ॥ लागी ॥१॥ ग्यानके बा न जरी जरी मारे, मारी मोहे प्रेम कटारीयां रे ॥ लागी ॥२॥ तुं तुं करतां मगन जयो हे, रूपचं द पीया वारीयां रे ॥ लागी ॥३॥ __५ घंट बाजे घननननन, इंजलोक हरख जयो । जनमे वर्धमान कुंवर, वीतराग तनननन ॥ घंट॥ ॥१॥ मृदंग ताल गुण बिशाल, ऊलरी नाद जनन नन ॥ घंट० ॥२ ॥ रूपचंद रागरंग, होत ध्यान मगनननन ॥ घं० ॥३॥ ६ निरंजन सांईयां रे, सांश् मेरा टुकसा मुजरा लेत ॥ टेक ॥तुम हो तीरथका देवता रे, हम गिरि वरका मोर॥रुम जुम रुम जुम मेहला बरसे, कॉश्चम उम नाचे मोर ॥ निरंजन॥१॥ हम गुण काली को यली रे, प्रनु गुण श्रांबा महोर ॥ मांजरोंके जोरसें, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003687
Book TitleStavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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