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________________ (१२ए) जिम वेलू थल मेहबू, तिम तिरयाको नेहा कहि नरपति सुण बापडा, कांश विटंबे देह. ए काचे तांतणे गांठमी, तिम तिरियाको नेहा कहि नरपति सुण बापमा, कां विटंबे देह. . ७० निखर केरो कूप जिम, तिम तिरियाको नेह; कहि नरपति सुण नापमा, कांश विटंबे देह. १ अबला तो हे बापडा, ए सकली संसार जे सबला नर साचिला, नबला कीधा नार. २ तां सबला नर साचिला, जां अबला मिलंत; जिम श्राबण दूधे मट्युं, कविता एम कहंत, ३ सर सीगिणिकू चाहियो, परकू घात करंत; नर नारीनो वाहियो, परि परि पाप करत. नारि नहिं रे बापमा, निश्चे विषनी वेलि; जो सुख वंडे जीवने, तिरिया संगत मेलि. यौवनवंती गोरमी, जो नलि जोतां होय; कांकच केरी जाल जिम, बांह पनडके जोय. द स्नेह परिक्रम वांचतां, पुरुषह हुवे पवित्त; कवि नरपति इम उच्चरे, जग सहुये श्म रत्त. ७ थाना मंडन वीजली, डुंगर मंडन मोर; Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003687
Book TitleStavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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