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________________ (ए) हे साचा, करो मत मनमें कोई शंका रे ॥ करो॥ मूलक० ॥४॥ ॥अथ केशरीयाजीनी लावणी ॥ सुणजो बातां राव सदा शिव, मत चढ जानो धूलेवा ॥ गढपति उनका बमा अटका, मत डेमो तुमें उन देवा ॥ ए आंकणी ॥ सकतावत चूडावत बोले, हमहीनोकर उनहींका ॥ हिंङपति वाकुं हाथ जोडे, तीन नुवन शिर हे टीका ॥ सु० ॥ १ ॥ स्वर्ग मृत्यु पाताल सबेही, सुर नर वाळू ध्यावत हे॥ चं जमुनि दर्शन यावे, मनकी मोजां पावत दे॥सु०॥ ॥२॥ गया राज उनहींकू आपे, निर्धनियाकू धन देवे ॥ खाजां खिलावे सुंदर लमका, सदा सुखी जे प्रनु सेवे ॥ सु० ॥३॥ तारे जिहाज समुअमें जश्, रोग निवारे नव नवका ॥ नूप जुजंगम हरि करी नदीयां, चोर न बंधन अरि दवका॥सुणाशा धौधौ धौं धौ धौसा बाजे, दसो दिसामें हे मंका ॥ जाउ ताती या नहीं चलाइ, मत बतलावो गढ बंका ॥ सु० ॥ ॥५॥ रानाजीखे ऊमरावजीकों, मानत नांहीं वे वातां ॥थांकी कीधी थेंहिंज पावे, में नहीं श्रावु थां सांथा ॥ सु॥६॥ मूब मरोमे चमे अनिमाने, जहेर न Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003687
Book TitleStavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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