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(३) होशे वाले दोष, पीधा होशे श्रादें कोश ॥ तो जो गवतां केहो शोष ॥ वि० ॥ १७ ॥ कस्या हशे कान नदाह, मृग माख्या हशे फंदमाह, बिल पूख्या हो शे नीरप्रवाह ॥ वि० ॥१०॥ कस्या बालक मात विबोह, वेच्यां होशे श्रायुध लोह, कस्या होशे सा धु कोह ॥ वि०॥ १ए ॥ सूची अणीये अनंता जीव, कख्या चूरण कंद दहेव ॥ कीधा होशे आहोर सदै व ॥ वि० ॥ २० ॥ गो कन्या नूमि अलीक, होशे बोव्यां नवातरे ठीक ॥ फल तेहनां एह नजीक वि०॥१॥करी उद्यम करूं धनजाल, थई बेठो दुश्श रखवाल ॥ ली, होश्ये में ते उदाल॥
विश्॥ वावस्यां होशे अणगल नीर,ग्रही धास्या पंजर की र ॥रंग्यां होशे रातां हीर ॥ वि॥ ५३ धरणीनुं वि दायुं पेट, शरसंधि रमीयां खेट॥कस्यां शातनपातन पेट ॥ वि० ॥२४॥ परदारा संगति कीध, रस रंजी वारुणी पीध ॥ सेव्यां होशे व्यसन प्रसिद्ध ॥ वि०॥ २५॥ तिथिपर्व जाणी कस्यां जंग, करी होशे के ली अनंग ॥ वली मिथ्या वादि प्रसंग ॥ वि॥२६॥ जिनमतथी कस्यो विषवाद, गुरुजनना कस्या अप वाद ॥ हूठ होशे संतविषाद ॥ वि० ॥ २७॥ एम
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