SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ थयो कुसुमनी माल ॥ पावक पण पाणी थयो, शीलें सिंह शीयाल ॥ ७ ॥ शीलरूप सन्नाहथी, मन्मथ नृपनां बाण ॥ वेधी न शके वदने, रे मन मृषा म जाण ॥ ए॥शीलतणे अधिकार अथ, नमया सुंदरि चरित्र ॥ रचीश शास्त्र अनुसारथी, वर्णव करी विचित्र ॥ १०॥ सांजलजो श्रोता नरो, मित्र पुत्र स्थिर लाय ॥ पण पीतां करतां रखे, महिषी किन्नर न्याय ॥११॥ ॥ ढाल पहेली॥ देशी चोपानी॥ जंबूहीप जोयण एक लाख, साधक त्रिगुणी परि धिनी लाख ॥ क्षेत्र सात तिहां अति विस्तार, ना म मात्र कहुं तास विचार ॥१॥जरह औरवय पांच से बबीश, बकला तास उवरी सुजगीश ॥ हेम ऐरण्य डे सहसग गसत्त, पण जोश्रण पण कला पमत्त ॥॥श्राप सहस चउसय एकवीश, एक कला हरि रम्यक जगीश ॥ तित्तिस सहस बसय चूल ने ह, चार कला ए मान विदेह ॥३॥ कुल गिरि ए हीप मकार, तास तणो हवे कहिश विचार ॥ जो यण एक सहस बावन्न, बार कला हिमशिखरी मन्न ॥४॥ महा हेमवंत रूपी चार हजार, उसय दश Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003683
Book TitleNarmada Sundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy