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॥ ढाल उंगणसामी॥ - आश् आश् हो ढोला श्राश् हो श्रावण त्रीज, माहरी प्रोले पडहा वाजीया होराज ॥ वारी जालं राज, जीवनप्यारा राज ॥ लाडीरा लाडा राज ॥ राज मृगानयणीथी मांमधु रूसणुंजी ॥ वाण ॥ जीव न० ॥ लाडी० ॥रा॥ ए देशी ॥ मांम्यो मांमयो हो तेणे नमयाए पूरण प्रेम, रतनाली सुमति गुप्ति सा हेलीझुंजी ॥ गंड्यो बांड्यो हो तेणें कुमति सा देली संग, लय लागी ते अलबेलीशंजी॥१॥ कस्युं मननावें, नमयाए कुमतिथी रूसणुं जी ॥ ए श्रांकणी, तास मंदिर हो नहीं सुंदर नामें आरंज, तेहनी तो बोडी शेरडी जी ॥ श्रावी बेठी हो तव उपशम गेह, जस संयमशेरीन वेरडी जी ॥क०॥ ॥२॥ तव जयणाने हो कर्तुं नमयायें बेनडी मूऊ, शहां कुमतिने हो मत देजो पेसवा जी ॥ मुफ नो लावी हो एवं एता दीह, अनंत स्थिरताए न दीधी बेसवा जी ॥ क० ॥३॥ एहवे कुमतिए हो मेली हिं सा दासी कुरूप, नमयाने घणुं विप्रतारवा जी॥कांश जोली हो गंडे बालपणनो नेह, ससनेही केम केम वीसारवां जी ॥ क० ॥ ४॥ तेहने अहिंसायें हो
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