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(१३४) पडी, परवरि खाल मकार ॥ जो ॥१२॥ कादवथी तनु लीपीयु ॥ सा ॥ देखे लोक समद ॥ जाणीने घहेली थश् ॥ सा॥ जाणे वलग्यो यद ॥ जो ॥१३॥ चीर पटोली कंचुकी ॥ सा॥ कीधां ते खंडो खंड ॥ जाणीने कांश्क कहे॥ सा॥ मुखथी करे आ कंद ॥ जो ॥ १४ ॥बीहाडे लोकोजणी ॥ सा ॥ बू टा केश कराल ॥क्षिण इसे दिणके रुवे ॥ सा॥ क्षणके विलोके खाल ॥ जो ॥१५॥ एम असमं जस देखीने ॥सा॥ मंत्री विनवे नूपाल, स्वामीजी ते सुंदरी॥साथ दीसे ले कराल ॥ जो॥१६॥ रूप अनोपम ने घj ॥ सा ॥पण तस परवश देह, ते केमही साजी हुवे ॥ सा ॥ तो बहु उपजे स नेह ॥ जो ॥ १७ ॥ मंत्री वचन सूणी करी ॥सान ॥ आलोचे महीपाल, मोहन विजयें वर्णवी ॥ सा० ॥ चुम्मालीशमी ढाल ॥ जो ॥१७॥ सर्व गाथा ॥
॥दोहा॥ महीराज मंत्री जणी, कहे सांजव्य मुज वेण ॥ नारीने साजी करे, एहवो कोश बे सेण ॥१॥ नूपें पडह वजावियो, बब्बरकूल मकार ॥ जे नमया साजी करे, ते लहे लाख दीनार ॥॥ एहवे
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