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मा० ॥ १० ॥ मुखने पूर्वी जोजन करो, तनुने पू बीने पर ॥ सु० ॥ जाय तु रथमें बेसीने, बन उपवनने शहेर ॥ सु० ॥ मा० ॥ ११ ॥ तेल फूलेलने अगरजा, तेहमां रहो गरकाव ॥ सु० ॥ नवनवरंगें हसो रमो, पान सोपारी चाव ॥ सु० ॥ मा० ॥ १२ ॥ वचन सुणी गणिकातणां, बोली नमया ताम ॥ सु०॥ बाई तुमें ण बोल्यां रहो, ए तुमचं नहीं काम ॥ सु० ॥ मा० ॥ १३ ॥ हुं व्यवहारीनी पुत्रिका, तुमे तो गणिका निदान || सु०॥ ए घटतुं कां करो, कांक राखो शान ॥ सु० ॥ मा० ॥ १४ ॥ जावा यो जोलामणी, में तुऊ बाल गोपाल ॥ सु० ॥ जोजंतुं कुल साहमुं, नहितर देश गाल ॥ सु० ॥ मा० ॥ १५ ॥ वाड जो गलशे चीजडां, तो रखवा लशे कोण ॥ सु० ॥ कहिये एहवुं वरे पडे, जेवुं श्रा टे लूए ॥ सु० ॥ मा० ॥ १६ ॥ नीचे वाहनें केम च डे, जे चढिया सुंढाल ॥ सु० ॥ मोहनविजयें जल्ली कही, एकतालीशमी ढाल ॥ सु० ॥ मा० ॥ १७ ॥ ॥ दोहा ॥
नमयाने गणिका कहे, पुत्री निसुष जगीश ॥ श्ररुं श्राऊं बोलतां एम केम तुं बूटीश ॥ १ ॥ जे
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