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________________ (ए) ॥ गो ॥ मेरा सायरने तटें रे ॥ सू० ॥ ताण्या वर पंचरंग ॥ गो ॥ जे० ॥ ७॥ सहित सुता नमया पिता रे ॥ सू० ॥ आव्यो मेरा मांह ॥ गो ॥ बे सारी नमया जणी रे ॥ सू०॥ एकांते सोत्साह ॥ गो० ॥ जे० ॥ ॥ जोजन प्रमुख जलां कस्यां रे, नमयादिकें तेणी वार ॥ गो ॥ प्रहर दिवस जब पाउलो रे ॥ सू० ॥ शोचे शाह तेवार ॥ गोग ॥ जे० ॥ ए॥ नमयाने मूकी इहां रे ॥ सू० ॥ नेटुं बब्बर नूप ॥ गो० ॥ पुरमे वली रोजगारनुं रे ॥ सू० ॥ दीसे ले केहबुं खरूप ॥ गो ॥॥ जे॥ ॥ १०॥ अंबर पहेस्यां सुंदर रे, पहेस्या नर श्रृंगार ॥ गोण ॥ लीवू अमूलक नेटणुं रे ॥ सू० ॥ साथें सवि परिवार ॥ गो ॥ जे ॥ ११ ॥ पुत्रीने कहे पेखजो रे ॥ सू० ॥ पट मंडप मनुहार ॥ गो॥ श्रावीश हूं हमणां फरी रे ॥ सू० ॥ जाउंडं नयर मकार ॥ गो॥ जे० ॥ १२ ॥ एम कही नमयानो पिता रे ॥ सू०॥ परिवखो परिकर साथ रे॥गो॥ एम पहोंतो दरबारमें रे॥ सू० ॥ जिहां बेगे नृप नाथ ॥ गो॥जे॥ १३ ॥ बत्रीश राजकुली सजी रे ॥ सू० ॥ वच्चे मकरध्वज राय ॥ गो॥ नमया तातें Jain Educadona International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org 3
SR No.003683
Book TitleNarmada Sundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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