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________________ ( SG ) विसराल हो ॥ प्र० ॥ कांति कहे म बीजे खंने, ए थइ त्रीजी ढाल हो ॥ प्र० ॥ २३ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ कनका चित्त चिंता करे, नयणें नावे नींद ॥ मलया किम दुःख पामसे, मानी जेह महींद ॥ १ ॥ हवे कुमर मुख मांदेथी, काढे गुटिका रयण ॥ प्र गट हूर्ज नररूप त्यां, जाणे नवलो मरण ॥ २ ॥ क हे कुमर नरथ वो, हुर्ज एह विसराल ॥ जो वली रहियें तो दूवे, अचिंत्यो को चाल ॥ ३ ॥ तेमाटे तुम सीखथी, चालीश हुं निजदेश ॥ प्रीतलता संजा लजो, ऊगी हृदय निवेश ॥ ४ ॥ कस्यो शुलन मेला वो, आपण बिहुंनो जेण ॥ चिंता करशे तेह विधि, म करें चिंता तेण ॥ ५ ॥ वलि अनोपम तुजने कहुं, सुंदर एक सलोक ॥ सरवकाल ते चिंतवे, याशे सघला थोक ॥ ६ ॥ तद्यथा ॥ विधत्तेय द्विधिस्तत्स्या, (चिम त्कारपामीने) न्नस्यात् हृदयचिंतितं ॥ एवमेवोत्सुकं चि त, मुपायां श्चिंतयेहून् || १ || दोहा ॥ वरण उकेरया ढांकणे, म लागा तस चित्त ॥ तेह प्रशंसे चित्तचकी, ए श्लोक सबल सुपवित्त ॥ ७ ॥ सुखिया होजो साज ना, कुशल्या होजो पंथ ॥ देजो वेग मेलावमो, प्रदे For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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