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(४५) रे, उठ्यो वली करुणाल ॥ प्रि० ॥ १६ ॥ हा हा में त्रीसर सुणो रे, नूमि पड्या मुज हाथ ॥ परलोकें जातां प्रिया रे, जाइस हुं पण साथ ॥ १७ ॥ सर्बु णा मंत्रि हो, ढील करो मत कांश, सुरंगा मंत्रिहो। ए आंकणी ॥गालानदीने काठमेरे, हुं प्रजलीस संघा थ ॥सढुं० ॥सोध्र करावो चय तिहां रे, काठे पुरो पूर्ण । अंग बालीने आपणो रे, निर्वृत्ति थाश्स तूर्ण ॥ स०॥१०॥ नयणे श्रावण जमीलगी रे, बोल्या एम प्रधान ॥ हाहाहा अनरथ किस्यो रे, मांमयो ए राजान॥१५॥रंगीला राजन हो ॥ समजो हीयमा मांहे, बबीला राजन हो ॥मत करो आतम दाह, हीला राजनहो। कहीयें गोद बिडायने रे, साहेबजी रढ मान ॥रंगी०॥ कमल जिस्यां रविवाथमे रे, जल सूके जिम मीन ॥ माय ताय विण बालज्युं रे, कांश करो जगदीन ॥ रंगी॥२०॥ मत ल्यो रिपु एह रा ज्यने रे, पामो प्रजा मत पीम ॥वसुधा मत अशरण हु रे, न पमो श्रममां जीम॥रंगी॥१॥ तुम स रिखा महाराजवी रे, धीर पणुं मत बांग ॥ तो किहां रहेसे लोकमां रे, थानक ते देखाम ॥रंगी॥ २५ ॥ मरण सही देवी प्रजो रे, ते तो कर्म निदान
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