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( ३४ )
लाज वधारे वंशनी, जी हो राखे घरनां सूत्र ॥ श्री० ॥ २८ ॥ जी हो लोजनंदी संकट सह्यो, जीहो देखी सयल कुटुंब ॥ जी हो जो सुत होवे एहने, जीहो बो वे विलंब ॥ ० ॥ २॥ जी हो हुं जगमां निरजा गीयो, जीहो माहारे पोतें पोत ॥ जीहो पुत्र रहित सरज्यो किस्यो, जीहो वाल्यो चिंता पोत ॥ प्री० ॥ ३० ॥ जी हो कुंए पूजे गुरु देवने, जीहो कुंण उद्घ रे धर्म गण || जी हो कुंण धारे कुल आपणुं, जीहो पुत्र विना हित खाण ॥ श्री ॥ ३१ ॥ जीहो वंसल ता फरसी समो, जी हो सरज्यो कां जगदीश ॥ जीहो ए चिंता मुज जामिनी, जीहो बीजी राव न रीस ॥ श्री ॥ ३२ ॥ जीहो नवमी ढाल पूरी घई, जी हो राय कही ए बात || जीहो कांति कहे पुण्यें दवे, जीहो घर संतति सुख सात || प्री० ॥ ३३ ॥
॥ दोहा ॥
॥ चंपकमाला चित्तमां, दुःखपूरी दिलगीर ॥ इम बोली प्रीतम प्रत्यें, नयण जयंती नीर ॥ १ ॥ धन्य जनम तस लहीजीयें, जेहने आगल बाल || हंसे रमे रोवे लुटें, चाले चाल मराल ॥ २ ॥ घूघर पग घस कावतो, करतो विविध टकोल || माय तो बेमो प्र
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