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________________ (१५५) णी राणी हू, फुःख नारें दिलगीर ॥प्रीतमने श्म वि नवे, नयण जरंती नीर ॥३॥ ॥ ढाल पांचमी ॥ सासू काग हे गहुं पी साय, आपण जास्यां हे मालवे, सोश नारी जणे ॥ए देशी ॥ ॥पीया बेग हे कां निचिंत, कान ढालीने हे ६ णिपरें ।सुत मायो घरें॥पीया वरहो हे अति खट कंत, सुतनो हे हीयमा जीतरें ॥सु० ॥१॥ पीया मुजथी हे रडुं न जाय, खंबा दीहा किम नीगमुं ॥ सु०॥पीया रयणि हे वैरणी थाय, नींद गई शूनी जमुं| सु॥२॥ पीया बालुं हे नवलख हार, पु त्र रतन जेहथी गम्यो ॥ सु०॥ पीया लेई हे रतन उदार, पाहाण कारज आगम्यो॥ सु० ॥३॥ पीया ढोब्युं हे सरस पीयूष, दार उदकने कारणे ॥सु० ॥ पीया कापी हे सुरतरु रुख, वाव्यो धंतुरो बारणे ॥ सु॥४॥ पीया जी हे हुं हवे केम, पुत्र रहित दानाागण।।सु०॥ पाया गार है ऊपावीश जेम, निवृत्त होइ जीवित नणी ॥सु०॥५॥प्रीया वारी हे में समजाय, पहेलां पण तुजने घj॥ सु० ॥ प्री या सेहेरुं हे पुण्य पसाय, हार परें सुत थापणुं ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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