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________________ (१३२) च कस्यो डे एहवो, पूरी पूरण पूठ ॥ वारंतां पण रा तमां, जाशे कनका ऊ॥२॥सामग्री नोजन तणी, करे मगधा अति नेह ॥ जमी रमी तिहांथी वली, ग ईदिवसने बेह ॥६॥बना थानक थंजनो, जोतां न लह्यो हार ॥ रातें कनकाने वली, जई नांख्यो सु विचार ॥४॥हार लेई तुं आवजे, देवी नवन मजा र॥पूबीने मगधा प्रत्ये, हुं चाली निशिचार ॥५॥ ॥ ढाल उगणीशमी ॥ आले लालनी देशी॥ ॥ रयणी अंधारी मांहे, वहेती हुँ चित्त चाहे, आडे लाल ॥अध मारगें नूली पनी ॥ आफलती पूर सेर, खाती घारण फेर, श्रा०॥ जिम तिम पामी वाटनी ॥१॥ आवी हुँ तुम पास, नांखी वात प्रकाश, श्रा० ॥ कनकवती जोश् आवती ॥ हार लेश्ने एह, आवे ने अतिनेह, आ० ॥ कनका तुमने चाहती॥२॥ वात सुणी इंम नाह, आणी टेक अथाह, आ॥ प्रीति वचन ते उबप्यां ॥ बोलवू नही घटमान, एह थी होय नुकशान, श्रा० ॥श्म कही थें गना बिप्या ॥३॥ कनका मन उत्कंठ, आवी मुज उपकंठ ॥ आ तव मेंइम कहां तेहनें।ावी म कर कांड सोर, ग डे शहां चोर, आण ॥ दे मुज जे होय तु Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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