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________________ ( १२६ ) ऊ ॥ " ६ ॥ निःकारण मुजनें ईणे, जी मी संकट मांहि ॥ वात कहुं ते यदिथी, सुणजो चित्तनी चाहिं ॥ ७ ॥ ॥ ढाल सत्तरमी ॥ द दिए दो हिलो हो राज ॥ए देशी ॥ गत दिन बेटी हो राज, मंदिर बारें राज, धूरत त्या रें रे, एतो व्यो मान्हतो ॥ १ ॥ हास करीने हो राज में बोलाव्यो राज, इंमतो न जाएयो रे धूतारो जन एह बे ॥ २ ॥ मुज तनु मरदे हो राज, खांते क रीने राज, कांक पुं रे हुं तुमने रूनुं ॥ ३ ॥ व चन सुणीने हो राज, आाव्यो समीपें राज, मर्दी मा हारी रे ईणे देह चोलीने ॥ ४ ॥ हुं पण तूठी हो राज, मनमां वारु राज, जिमवा सारु रे मैंतो एहनें नोतस्यो ॥ ५ ॥ एह कहे माहरे हो राज, काम नहीं बे राज, जोजन न करूं रे कांइक मुने दे हवे ॥ ६ ॥ पीत प टोली हो राज, ले नहीं देतां राज, सोगमे देतां रे दामें राजी ना थयो ।॥ ७ ॥ नाम न जांखे हो राज, कांइक मागे राज, आज ए आवी रे लागो पूंठे माहरे ॥ ८ ॥ देहरे बेसारी हो राज, मुजनें लंघावे राज, जावा न दीये रेक्यांहिं फीट्यो बाहिरें ॥ ए ॥ तव में विचा खुं हो राज, जो हुं दुःखमां राज, जगमो निवेमी रे बेश्याने बोम ॥ १० ॥ तो मुज थावे हो राज, कारज Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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