SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 122
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ११५ ) कृष्णागरुना धूम धूखंत, व्याकारों घण थइ वरखंत ॥ मो० ॥ ० ॥ ११ ॥ तोरण माला काक जमाल, घर घर व धवल धमाल || मो० ॥ बीजे खंदे चौदमी ढाल, कांति कहे सुणो वचन रसाल ॥ मो० ॥ ० ॥ १२ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ राज जवनमां रसनरें, प्रगट्या रंग अपार ॥ निव शोजायें कस्यो, लीलायें संचार ॥ १ ॥ करे विलेपन कुंकुमें, साजन मांहोमांहिं ॥ देह घरी बाहिर रह्यो, जाणे राग उहांहिं ॥ २ ॥ कुलदेवी पूजी विधें, वजमाव्यां नीशाण ॥ प्रशन वसन तांबूलनां, लहे गुरु जन सनमान ॥ ३ ॥ नृत्य करे वारांगना, विध विध अंग वह || सोहे मीन कुटुंबनी, लेती जेम पलट्ट ॥ ४ ॥ बांध्या जलके चंदुआ, जरतारी जर बाफ ॥ जेम कालें युग तिनी, संध्या फूली साफ ॥ ५ ॥ शणगारें सारी सबल, सधवा सुंदर तेह ॥ कोकिल कंठे कामिनी, धवल दिये घरी नेह ॥ ६ ॥ मले जम लशुं जानीया, खमकंते केकाण | सोंधे जीना सा मठा, गाहिक जरया जुवा ॥ ७ ॥ ॥ ढाल पंदरमी ॥ करमो तिहां कोटवाल ॥ एदेशी ॥ ॥ महाबल मलया बाल, चंदन चर्चित सोह्या नू For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy