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________________ ( १०३ ) नवी रेलो ॥ ५ ॥ हांरे वारी मुद्रा दीधी ते थापि शि र आपजो, म कहीरे हां बानी फरतां फायदो रे लो, हांरेवारी आजनी रजनी मगधा घरें थिर थापजो, मलजो रे कालें सांजे ठे वायदो रेलो ॥ ६ ॥ हांरे वारी साधी कारज सघलां काले सांजजो, यावीश रे दे वीजल जवनें हुं वली रेलो ॥ हांरे वारी कुमर वचन चित्तधारी ते पुरमांहिंजो, घ्यावीरे नर वेशें किणही न अटकली रेलो ॥ ७ ॥ ढांरे वारी आगामी जे कर वां काम शेष जो, ते सविरे निरधारी पुर आव्यो धसी रेलो ॥ हांरे वारी नृपनंदन नैमित्तिकनो लेइ वे शजो, तरुतलेंरे बांध्यो एक गज देखे रसी रेलो ॥ ८ ॥ हांरेवारी ते गजनुं बहुला जण लेइ बांणजो, दी गरे जाजनमां जलशुं गालता रेलो || हांरेवारी कु मरें पूया कहे कारण परमाणजो, गतदिन रे नृप सुत हां याव्या मालता रेलो ॥ ए ॥ हांरे वारी र मतमां तेणे सोवन सांकल एकजो, विंटिरे सेलमी यें नांखी गज दिशा रेलो ॥ हांरेवारी पमती लै गज मुख मां घाली बेक जो, ताणीरे थाक्या तिहां के‍ महा वत जिस्या रेलो ॥ १० ॥ हांरेवारी नृप आदेशें गालीजें एह बाणजो, तेहनांरे इहां खंग कदाचित् पामीयेंरे For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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