________________
(१५५)
॥ ढाल दशमी ॥हारे का जोवनीयानो ल
टको दाहामा चारजो ॥ एदेशी॥ ॥हारे वारी बिहुँ तिहां देखे काठ तणी बे फामजो, पहेला रे जेहमांथी नृप राणी लह्यो रेलो॥ हारे वा री कुमर ते देखी तेहमां विवर विचाल जो, धूणीरे शिर चित्तमां चिंति श्म कह्यो रेलो ॥१॥हारे वारी तीन कारज हवे करवां माहारे आंहिंजो, एकतो रे नृप बलतो चयमांथी राखवो रेलो ।। हारे वारी बीजु ए तुज परणुं नृपनी चाहिजो, त्रीजुं रे जननी गले हार ते नाखवो रेलो॥॥ हारे वारी लखमी पुंज अनोपम नागे हार जो, ते ढुं रेतुज देश दा हामा पांचमां रेलो॥ हारे वारी ईम पण बांध्यो जन नी आगे सार जो, सफलो रेकरवो ते साची वाचमां रेलो॥३॥ हारे वारी ते माटे तुं पुरमा फरि नर रू पजो, सांजेरे मगधा घरे जाजे हामशुं रेलो ॥ हारेवा री तिहां रहीने कनकांनुं निरखीश रूपजो, करतारे बल बल मुत्तावली पामशुं रेलो॥४॥ हारेवारी हुँ पण जश् चय बलता नृपने संग जो, वारुरे नवली बुद्धि कोश केलवी रेलो ॥ हारे वारी नामांकित मुज ये तुज मुजा नंगजो, ग्रहशे रे एहथी तुज को चोरी
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org