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________________ ( ए६ ) चारजे रे, मुऊने करी गद्गट्ट रे ॥ १६ ॥ ॥ प्र० ॥ एम कहीने सुर गयो रे, पहोतो ते निज गम ॥ हरिबल लंका देखीने रे, मनमें लह्यो याराम रे ॥१७॥ प्र० ॥ तेजें फलामल फलकती रे, हेममय लंका पीठ ॥ जेहवी जनमुखे सांजली रे, तेहवी नजरें दीव रे ॥ १८ ॥ प्र० ॥ नंदन वन सम वाटिका रे, देखी थयो सुप्रस न ॥ परिमल पस्यो चिहुं दिशें रे, कुसुम तणां जि हां वन्न रे ॥ १९ ॥ प्र०॥ चंपा गुलाब ने केतकी रे, मोगरा मालती जेह ॥ जाणे सुरवाडी फुली रे, हरिबल निरखे तेह रे ॥ २० ॥ प्र० ॥ खंब कदंब ने सुरतरु रे, सुरलता मोहन वेल ॥ हेम रजतनी उषधी रे, पस री चिहुं दिशें रेल रे ॥ २१ ॥ प्र० ॥ नागरवल्ली श खना रे, मांवा प्रति सोहंत ॥ केलि जंबेरी फालसां रे, दाडिम पक्क मोहंत रे ॥ २२ ॥ प्र० ॥ जातीफ़ ल जावंतरी रे, तज ने तमाल ते पत्र ॥ एके तरुथरें नी पजे रें, चातुरजातक तत्र रे ॥ २३ ॥ प्र० ॥ देव कु सुम ने एलची रे, सुंदर केसर बोड ॥ निमजां पिस्तां चारोजी रे, बेय बदाम खोड रे ॥ २४ ॥ प्र० ॥ पूगी श्रीफल सेलडी रे, सीताफल सह तूत ॥ खार क रायण करमदां रे, लिंबू जांबू जूत रे ॥ २५ ॥ प्र० For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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