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________________ (ए१) कुमरीयें, राणीने हर्ष उपाय ॥ अशन वसन करी रीजवी, रापीने कीध विदाय ॥राणीये पण जान पने, शीघ्र वधाई दीध ॥ आजथी एक मासांतरें, नृ प तुम मनोरथ सि ॥१३॥ मास, तप कुमरीयें, मांमधु महोटे मंमाण ॥ ते तप पूरण थइ रहे, कुम री मल सुजाण ॥ तिहां लगें नाथजी बेठा, प्रनुनुं नजन करेय ॥ निश्चे मलशे कुमरी, जीवने धैर्य धरे य॥१५॥ इणिपरें राणीनी सांजली, वाणी नृप ह रखंत ॥ नाग्य दिशा मुफ जागी, जांगी नावट चां त ॥ नृपना मनमें गंग, तरंग ज्यु उलट्यो रंग ॥ जा णे माणा मासने, अंतरे कुमरीयुं चंग ॥ १५ ॥ सागर पव्योपमनां जे, कह्यां महोटां रे आय ॥ ते सरखा पण जीवने, जोगवतां वही जाय ॥ तो गुं शणमें मासन, जावु केतिक वार ॥ आजने काल क रंतां, वहेशे मास विचार ॥ १६॥ इणिपरें आशा वासमें, मदनवेग नन्नास ॥ निशिदिन रहे मगन थ ३, ज्युं मद पीध विलास ॥ आशायें जीव जीवाडवा, जीव रुले संसार ॥ पण चनलख जोजन लगें, नर वहे आशा मकार ॥ १७॥ आशा अंबर जेवडी, क हे उनियां सङ कोय ।। आशायें मां अनल तणां, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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