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________________ (६७) कहे सांनल मंत्रवी, तुज करणी विगतावी ताहरा का न उघाडं हो राज ॥ ३० ॥ लब्धं बीजा नन्नास मां, मंत्रीने समजाव्यो नलि परें पांचमी ढालें हो राज ॥ हवे सुपजोनवियण तुमें, आगल शीशी वा त निपजे ते उजमाले हो राज ॥३१॥ • ॥दोहा॥ ॥रे मंत्री हुँ ताहरां, जाणुं सयल चरित्र ॥ पा पड खाई पदमशी, तुं थयो महोटो पवित्र ॥१॥ पट्टा खाउँ अम तणा, व्यो वलि लोकां लांच ॥ ले वा देवा मापलां, राखो कूडां साच ॥२॥ कूड कप ट हृदयें धरी, बोलो मीठा बोल ॥ धोले दिन धूतो घj, राखी कूडां तोल ॥३॥ परनिंदा करता फरो, पारकुं ताको बिश्॥साची जूठी करो घणी, काढो जुना दुइ ॥४॥अम उपरालें लोकने, यो लेखणनो मार ॥ धेरें वीट। परजने, देवो कुःख अपार ॥५॥ अमें उसरीयें पापथी, तुमें न उसरो कोय ॥ मरण बीक राखो नही, बाती दृषद ज्युं होय ॥ ६ ॥ पर उपदेश देवाघj, माहापण राखो ठीक ॥आप न जा ये सासरे, दिये परायां शीख ॥ ७॥ निज अवगुण जोवो नही, पर अवगुण तुम लेय ॥ पापनी बांधी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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