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________________ ( ६४ ) नली जाएणजे मंत्री लिखित प्रमाणें हो राज ॥ ४ ॥ पापी चिलाती पुत्र जे, स्त्री हत्या जिणें कीधी महोटी कामें व्याप्पो हो राज || ते गयो सुर लोक धाम्मे, साख नली तुं जाणजे श्री योगशास्त्रें उपायो हो राज ॥ ५ ॥ याषाढसूति अणगार जे, नाटकणीने सायें बार वरस घर मांड्यो हो राज ॥ साख नली तस चरित्रमां, ते गयो शिवगति मांहे जाणी जे व्रत खंड्यो हो राज ॥ ६ ॥ चंदशेखर विद्याधरु, ते निज नगि नि साथै निशिदिन रंगें रमतो हो राज ॥ ते लह्यो मुगतिवधू प्रिया, श्रीसेतुंजो माहातम साखी बे मन गमतो हो राज ॥ ७ ॥ चक्री नरत नरेसरु, गंगा वे वीने घेर रहियो यइ सुखवासी हो राज ॥ सहस व रस सुख जोगवी, नुवन यारीसामांहे पाम्या ज्ञान उल्लासी हो राज ॥ ८ ॥ अष्टापद गिरि उपरें, कूपन जिलेसर साथै मुगति पुरीयें पुहता हो राज ॥ तेनी साख तुं जाणजे, जंबुदीवपन्नत्तिमांहे अक्षर सुहता हो राज ॥ ए ॥ नामें एलाची जाणीयें, नाटकणीनी लारें नटक्यो प्रेम विलुदो हो राज ॥ केवल रयण ते पामिने, मुगति पुरी में जइने बेगे नि जय सूधो हो राज ॥ १०॥ गज सुकुमालिका साधवी, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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