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________________ (५३) . ॥दोहा॥ .: ॥ हवे मंत्री नृपने कहे, सांजलो प्रनु महारा ज॥ अंतरगतनी जे कही, ते में निसुणी बाज ॥ ॥१॥ पण ए वात दलकी नहीं, वे नारे महिनाथ ।। गणवा दशन यमदंमना, नना जरवी बाथ ॥ २ ॥ तिम ए स्त्रीगुं नेहलो, करवो अति उखन ॥ बंमो सं गति एहनी, ज्युं लहो सुख सुलंन ॥ ३ ॥ जे कीधे तुमने प्रनु,खामी लागे अपार ॥ वाड जो गलशे ची जडां, क्यां होय तास पुकार ॥ ४ ॥ परःखनंजन राजवी, परजन पाले लाड ॥ वाहार जोश्य जिहां मकी,तिहां किम कवे धाड॥५॥अणघटती ए वातडी, किम कीजें प्रनु नाथ ॥ देखी पेखी वाघना, मुखमें घालवो हाथ ॥ ६ ॥ वसंतसिरी नारी तणो, जो की 'जें प्रतिबंध ॥ बानी वातो नवि रहे, हिंग तणी जे मगंध ॥ ७ ॥ पोतानी परणी प्रिया, नपजावे रंग रेल ॥ जगमें वे परणी नली,पर परणी विषवेल ॥७॥ काणी कोची करबली, काली कुबडी जाण ॥ परणी ह पनोतडी, पदमिणी तेह पिडाण ॥ ए ॥ आप सी गावडी चश्मा, जे दोही पीवाय॥ तूं कीजें पर ती नली, जे दोही नवि जाय ॥ १७ ॥ परस्त्री संग Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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