SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५०) त, गजथकी उतरे ॥ तो मुफ हृदयथी वसंत,सिरी ते वीसरे ॥ ६ ॥ ते विण जे घडि जाय ते, मास स मान ज्युं॥ मास ते जाणीयें होवे, वरस प्रमाण ज्यु ॥ मोहविलुको जीव, पूरे दिन रातडी ॥ साले साल समान, खुई निज जातडी॥ ७॥ मत कोश्ने प्रजुला गो, एकांगी प्रीतडी ॥ बाले सुरंगी देह, पतंग ज्यु रीतडी ॥ अगनी ऊंपापात, करेवी सोहिली॥ पण वि रहानल बाफ, सहेवी दोहिली ॥७॥ संग्राम करतां लागे ते,नलकांसोहिलां॥ पण ते कामिनी नलका,ख मवां दोहिलां ॥ जिम रोगी ज्वरयोगथी, सेजें तडफ डे ॥ तिम विरही नर काम, ज्वरथी लडथडे ॥ ५ ॥ चिंता चिता दोमें, अधिकी कुण वहे ॥ चिता दहे नि र्जीव, सजीव चिंता दहे॥ जिहां सधी ते नयों न, निरखे अति जले॥ घरनां कारज तिहां सुधी, कांहि न ककले ॥ १० ॥ लोनीनी परें जीव, रहे निज ते क ने॥ खाधा पिधानी सूध, नही ते जीवने ॥ शूनी फरे तस देह के, मन विण मानवी ॥जय लागी घ | जोर जे, ललना अभिनवी ॥ ११ ॥ विरुन विष य विकार के, दृष्टि लागे जिका ॥ वीषयीनो दिल दाह, जाणे केवली तिका। मदिरा पीधे जीव,घुमाई ज्युं रहे। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy