SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४१ ) ॥ २६ ॥ तस शिष्य धर्मविजय धर्मधोरी, सयल गु करि बाजे रे ॥ कोविदशिर मुकुटामणि सोहे, तस शिष्य धनहर्ष राजे रे ॥ ख० ॥ २७ ॥ तस शिष्य कु शलविजय कविराया, दिनमणि तेज सवाया रे ॥ तस बंधव गणि कमल विजय गुन, तस श्रुतज्ञान सुहाया रे ॥ ख० ॥ २८ ॥ तस शिष्य पंमित लक्ष्मी विजय गुरु, सोहे साधु नगीना रे ॥ ज्ञान क्रिया दो विधि खाराधी, यातम साधन कीना रे ॥ ख० ॥ ॥ २५ ॥ तस शिष्य दो दुवा साधु शिरोमणि, कुमती मद जीपंता रे | पंमित केशर खमर दो जाता, रवि शशिपरें दीपंता रे ॥ ख० ॥ ३० ॥ ते गुरुचरण प सायें लब्धि, पुष्य उपर परबंध रे ॥ पहेलो उल्लास को नव ढालें, हरिबल केरो संबंध रे ॥ ख ० ॥ ३१ ॥ ॥ इति श्री हरिबलचरित्रे हरिबल राजर्षि पुरवर्णन नृपवर्णनादि प्रथमउल्लासः संपूर्णः ॥ १ ॥ ॥ अथ द्वितीउल्लासः प्रारम्यते ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ परम ज्योति परकाश कर, त्रिभुवन तिलक स मान || गरिब निवाज गोडी धणी, जयनंजन नम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy