________________
( २७२ )
साध्युं जी ॥ ० ॥ पूजा नामकर्म बांध्यूँ जी ॥ ६० ॥ गुरुमुखें जे पण लीधुं जी ॥ ६० ॥ सार्थे ते त्रिहुं जीव सीधुं जी ॥ ह० ॥ १० ॥ जवो जवनां दुःख टाली जी ॥ ६० ॥ थया त्रणे एक अवतारी जी ॥ ॥ हृ० ॥ गुरुवचनें जे चाले जी ॥ ६० ॥ ते शिव रमणीयुं माले जी ॥ ० ॥ ११ ॥ इम करतां दिन केता जी ॥ ६० ॥ सुकृतमें दिन वीता जी ॥ ६० ॥ सांगलो यागे जे होवे जी ॥ ६० ॥ नावि जिहां तिहां जोवे जी ॥ ६० ॥ १२ ॥ हवे सुदेव नूदेव दोइ जी ॥ ॥ ८० ॥ रोगिणीना जे धव होइ जी ॥ ६० ॥ ना तिना खूनी जाएगी जी ॥ ६० ॥ काढ्या ते इष्ट प्राणी जी ॥ ६० ॥ १३ ॥ निकल्या नातिथी हाथा जी ॥ ॥ द० ॥ क्रोधानलमें ते गाव्या जी ॥ ह ॥ गया ते कप देशें जी ॥ ८० ॥ न जाणे को नामनी विशे जी ॥ ६० ॥ १४ ॥ तिहां जइ एक कापडी जेटी जी ॥ ॥ ० ॥ तिरों शिखवी विद्या महोटी जी ॥ ६० ॥ बहुरूपिणी विद्या शिखी जी ॥ ६० ॥ श्राव्या ते दो जीखी जी ॥ ह० ॥ १५ ॥ कापडी वेश ते लेइ जी ॥ ६० ॥ याव्या ते गिमें बेइ जी ॥ हृ० ॥ उपनं दने घर यागें जी ॥ ६० ॥ कपटें दो निक्षा मागे
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org