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(२७१) मुखमें अन्न दीजें जी ॥ द० ॥ ॥ दो कुमरी नप नंदें जी ॥६॥ एत्रणे आणंदे जी॥३०॥ उत्लखी गु ६ आचरणे जी ॥ ह ॥ थया पणधारी त्रणे जी ॥ ह ॥३॥श्म नपदेश ते देश जी ॥हण॥ चाव्या गुरु लान देश जी ॥६॥ हरिजट्ट सुदत्त आदें जी॥हा॥ सदु जिन पूजे आव्हादें जी ॥ ह॥॥ नव नवी पू जा बनावे जी ॥ ६ ॥ नव नवी आंगी रचावे जी ॥ह ॥ नव नवां नृत्य करावे जी ॥ ह ॥ श्म नित्य नावना नावे जी ॥ ह ॥५॥ सहसने षटरों एंशी जी ॥हा॥ सोवन मुज्ञ विहसी जी ॥ ह० ॥ प्रनुने मारें हरखें जी॥ह ॥ उपनंद मूके एक वर्षे जी॥हा॥ ६ ॥ शोलशे फूल चढावे जी॥ह॥ हेम रजतनां जे कहावे जी ॥ ४० ॥ शोलों में गट जरावी जी॥हण॥ कुंमल हार करावे जी॥हा॥ ॥ ७ ॥ कटिसूत्र ने करें कडली जी ॥ ह ॥ बांहे बाजुबंध जडली जी॥हा॥इणिपरें नूषण सारां जी ॥ ह ॥ प्रजुने चढावे प्यारां जी ॥ ६ ॥॥णपरे हिजणी टोली जी ॥ ६ ॥ पहेरी पंचरंगी चोली जी ॥ ६ ॥ पूजे जिनवर देवा जी ॥ ह ॥ लें हवा शिवसुख मेवा जी ॥ ६ ॥ ॥ तेहमें उपनंदें
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