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________________ ( २४५) ॥ १ ॥ ॥ खट दरशनने जावें पोखे, जाएगी लान धनं सा ॥ दान तणां दश दूषण टाली, दें खादर बहु संता ॥ ॥ ११ ॥ ज० ॥ चोथा गुणवाणानी ए करणी, करें हरिबल दिल साच ॥ सिदवधू वरवा जणी सारु, जापीयें देवे लांच ॥ १२ ॥ ज० ॥ देश विरति गुण ठाणे चढीने, करे पंचपर्वी पोषा ॥ चनद नियम सं नारी संखे, काढे मनना शेषा ॥ १३ ॥ ज०॥ श्रा वकनां जे कह्यां व्रत बारे, ते पण साचवे रूडां ॥ यावश्यक दो टंकनां साचां, साचवे मन नहीं कूडा ॥ १४ ॥ ज० ॥ बह अहम वली दशम डवालस, करें तप चढतां शक्ति ॥ ष्ट करम दल दुर्बल कीधां, बेसवा सिवनी पंक्ति ॥ १५ ॥ ज० ॥ एकादश जे श्राद्धनी प्रतिमा, नांखी जे जगवानें ॥ विधि पूर्वक जिन अरचीने, ते पण वहि एक तानें ॥ १६ ॥ ज० ॥ सा तमे अंगें पाठ ए चावो, जो जो नवियां रंगें ॥ दश श्रावकें जिम वहि गुन प्रतिमा, तिम वहि मठिय जंगें ॥ १७ ॥ ज० ॥ पट यावश्यक नवकार यादें, तेनां वहे उपधान ॥ शिवरमणी वरवाने देतें, प हेरी माल प्रधान ॥ १८ ॥ ज० ॥ श्रावकने उपधान क्या विण, नवकार क्रिया न सुजे ॥ साधूने पण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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